आंसू निकल आए तो खुद पोछिएगा
लोग पोछने आयेंगे तो सौदा करेंगे
तुम ने किया न याद कभी भूल कर हमें
हम ने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया
जब समय और हालात ख़राब होंगे ना,
तो आपके अपने और उनसे हुई उम्मीदें सब टूटेगी
कुछ यूँ हुआ कि, ज़ब भी जरूरत पड़ी मुझे..
हर शख्स इत्तेफाक से मजबूर हो गया.. !
मेरी शोहरत का आलम तो देखिए दीवाली
आते ही बच्चे पूछते है । चचा बोटल है क्या
कर्ज़ा देता मित्र को, वह मूर्ख कहलाए,
महामूर्ख वह यार है, जो पैसे लौटाए।
रूठने की "अदाएं" भी...क्या "गज़ब" थी..."उसकी".....
:*"गले" लगाकर बोले..."बात" नहीं करनी मुझे..."तुमसे"......
सबब तलाश करो अपने हार जाने का
किसी की जीत पे रोने से कुछ नहीं होता
बिना गुजारिश के सिफारिश नहीं होती , बिना खुश्की के खारिश नहीं होती ,
कुत्तेखानी हुई है किसी पति के साथ , वरना करवाचौथ के दिन यूं बारिश नहीं होती
काश कुछ जिम्मा तुम भी उठा लेते
टूटने से ना सही बिखरने से बचा लेते
लेला के शहर में कहा मजनू की खैर थी
हरदम पुकारा करते थे पत्थर लहू लहू.
बात करनी हो तो बेवक़्त किया करो,
मैं तुम्हारे फ़ुर्सत के लम्हों का खिलौना तो नहीं।
तू तग़ाफ़ुल भी करे इश्क़ भी और नफ़रत भी
मैं तेरे हिस्से में ,,इतना तो नहीं आने वाला
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