3 साल बाद
3 साल बाद उसको मेसेज किया
याद नही आती मेरी ?
उधर से जवाब आया
मम्मी की शादि हो गई दूसरी पटाओ
कामयाब होने के लिए अपनी मेहनत पर विश्वास होना चाहिए
किस्मत तो जुए में आजमाई जाती है!!!
RJ RAUNAK
मै कहता तुमको प्रिये प्रिये तुम कहती मुझको DEAR हो!
मै मोदी का INTERVIEW हू तुम SMITA प्रकाश सी CLEAR हो!!
मै इस छज्जे से उस छज्जे पे की जाने वाली चुगली हूं!
तुम पत्रकार पे उठने वाली राहुल जी की उंगली हो!!
तुम हर क्वेश्चन में खुलने वाली मोदीजी की बोली हो!
मै हर क्वेश्चन से जलने वाली उस लुटियन्स की टोली हूं!!
तुम साउथ गोवा की क्लीन बीच,मै साउथ दिल्ली का एक नाला हूं!
तुम हरिश्चंद्र की पोती हो और मै राफेल का घोटाला हूं!!
तुम ऑफसेट क्लॉज की शर्तें हो,मै खुला हुआ एक टेंडर हूं!
तुम फाइव स्टार की टेरेस सी,मै बरसाती एक लेंटर हूं!
मै उड़ी झोपडी की एक छत हूं,तुम मुझे उड़ाती आंधी हो!
मै संसद में उड़ता पेपर प्लेन,तुम मेरी राहुल गांधी हो!!
संसद में ऑडियो चलवाने को मै आतुर श्री RAGA हूं!
तुम स्पीकर बन के जैसे बोली मै उल्टे पांव से भागा हूं!!
मै चाय से ज्यादा गर्म गर्म रहने वाली केतली प्रिय!
तुम फैक्ट्स फेक संसद में झंड करने वाली जेटली प्रिय!!
मै पार्टी का संबित पात्रा पकड़े डिबेट का भाला हूं!
तुम मेरी कांग्रेस पार्टी हो,मै तेरा सुरजेवाला हूं!!
आधार
ये दर्द को भी आधार से जोड़ दो साहेब
जिन्हें मिल गया है , उन्हें दुबारा ना मिले
बचपन इसलिए भी प्यारा होता है
क्योंकि कंधे और दिल दोनों ख़ाली होते हैं
आज कल प्यार में,,,
दिल कम
💔
सिम कार्ड ज्यादा टूटते हैं...!!
अब मुझे सँभलकर चलना होगा...!
💕
उसके गालों में एक गड्ढा है
आखिर क्यों रिश्तों की गलियां इतनी तंग है,
शुरुवात कौंन करे यही सोचकर बात बंद है।
आपके संस्कार ही अपराध रोक सकते है,
सरकार के कानून नही
कभी टूट कर बिखरो तो मेरे पास आ जाना ...!!
मुझे अपने जैसे लोग बहुत पसंद हैं ...!
महफिल में गले मिलकर वो धीरे से कह गये...,
ये दुनिया की रस्म है...इसे मौहब्बत ना समझ लेना।
महफिल में गले मिलकर वो धीरे से कह गये...,
ये दुनिया की रस्म है...इसे मौहब्बत ना समझ लेना।
बे वज़ह ही ख़ुश रहती हूँ अब....
वज़हें महंगी हो गई हैं आजकल..
हमेशा मुस्कुराते रहिये...! दुनिया कन्फ्यूज़ होगी.. ?
न जाने इसको किस बात का सुख है.
हकीकत तो यह है के हमारे (Society) का हर मर्द
ये चाहता है के औरत आज़ाद हो (मगर दूसरो की
हर कीमती वस्तु को उठाने के लिए झुकना ही पड़ता है...
बुज़ुर्गो का आशीर्वाद भी इनमें से एक है...
अकड़ यानि EGO
इस शब्द में कोई मात्रा नहीं है....
फ़िर भी अलग अलग मात्रा में सबके पास है..
तेरी नेकी का लिबास ही,
तेरा बदन ढकेगा ऐ बंदे ;
सुना है उपर वाले के घर...
कपड़ों की दुकान नहीं होती!
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