Saturday, November 16, 2019

सब तरफ धुआँ धुआँ."


दिल्ली में हूं

आज बहुत दिनों बाद उससे बात हुई.....
उसने पूछा: "कैसे हो?"
हमने कहा: "आँखों मे चुभन, दिल में जलन, साँसें भी हैं कुछ थमी थमी सी, है
सब तरफ धुआँ धुआँ."
उसने कहा: "अभी तक मेरे इश्क में हो ?"

हमने कहा: "नहीं, दिल्ली में हूं



आदमी के पैसों से ही आदमी को  बेवकूफ बनाने की साज़िश
 'मेकअप' कहलाती है

थोड़ा सुकून भी डूँड़ना चाहिए

ये ज़रूरतें कभी पुरी नहीं होती .!


कितना खौफ होता है शाम के अंधेरों में

पूछ उन परिंदों से जिनके घर नही होते!


सर्द राते नवंबर की ऊपर से तेरा ये रूठ जाना_

कहो कैसे काटेंगे हम ये महीना मोहब्ब्त वाला


कितना खौफ होता है शाम के अंधेरों में

पूछ उन परिंदों से जिनके घर नही होते!


जो उड़ गये परिन्दे,उनका मलाल क्या करूँ,

यहाँ तो पाले हुये भी गैरो की छतों पर उतरते हैं.



जहर भी खा लो और मौत भी ना हो,

ऐसी चाहत रखते हो तो इश्क़ कर लो।


हर मुसीबत से लड़ती हुई अजा से मिल,

    अगर खुदा से मिलना है, तो मां से मिल ||

Old Man :-
कलतक जिया करते थे दुआओं के सहारे

अब कटते हैं शब रोज़ दवाओं के सहारे


बिना कुंडली मिलाये आजीवन चलने,

 वाला एक अधभुत सम्बन्ध केवल.

 #मित्रता है


तुम उछलती हिरनी सी मैं खूंटे से बंधा बैल प्रिये
मैं हैरी पॉटर हीरो सा तुम झाड़ू पे बैठी चुड़ैल प्रिये

शर्त गर और कोई हो तो बता कर जा वो भी।

ये हर रोज़ की मजबूरियां हमें अच्छी नहीं लगतीं।



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