Tuesday, May 4, 2021

CORONA Shayari

 CORONA

मैं तो फिर भी गले लगाने को तैयार हूँ,..तुम्हें.

ये जानते हुए भी कि हाथ मिलाने से लोग मर रहे हैं...!!

 

लंका नही जीत सके तो क्या हुआ।

सूर्यनखा की नाक तो काट दी।

 

मेरी पसंद को ,

मैं पसंद हूँ

बस इसी बात का घमण्ड है

Biwi

तुम ‘सुकून हो मेरा...

और सच कहूँ ...

तो..

तुम्हीं ‘सरदर्द भी हो.

 

कुछ अच्छा हूं कुछ कमी लिए फिरता हूं

मै वहीं शक्स हूं जो जख्म पर हसी लिए फिरता हूं।।

 

मेरे इज़हार करने पर कुछ यूंँ हां कहा उसने,

बात करते करते मेरी माँ को माँ कहा उसने.

 

कोई किस्त है जो अदा नहीं है,

साँस बाकी है पर हवा नहीं है

नसीहतें, सलाहें, हिदायतें तमाम,नुस्ख़ा हैं

 पर दवा नहीं है

आँखें भी ढक लीजिये संग मुँह के,

मंज़र वाक़ई अच्छा नहीं है

हर एक शामिल है इस गुनाह में,

कुसूर किसका है ये पता नहीं है।

अपना और अपने परिवार का स्वयं ध्यान रखें

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