Thursday, May 6, 2021

Dard shayari

तुम मेरे सामने लग जाते हो ग़ैरों के गले ••

मैं बुरा मानता थोड़ी हूँ , मगर लगता है !

 

बूढ़े फ़कीर को मिली दर दर की ठोकरें,

नोट मिल रहे थे उसे, जो भिखारन जवान थी!!

 

पाकीजा मोहब्बत है सरेआम न करना,,,

राजी ना हो यार तो बदनाम न करना

 

उम्रे बीत जाती है लफ्जों को तहरीर देने में,

फकत दिल टूटने से कोई शायर नहीं होता

 

तुम रूठ गयी तो दिक्कत हो जाएगी

गर मैंने मनाया तो मुहब्बत हो जएगी

कुछ फासला युं ही बरकरार रहने दो

तुम जो मर्जी वो कर लो मगर प्यार रहने दो

 

तू किसी और के लिए होगा समंदर -इश्क़।

हम तो रोज़ तेरे साहिल से प्यासे गुज़र जाते हैं।।

 

हद तो ये है कि मौत भी तकती है दूर से

उसको भी इंतजार मेरी खुदकुशी का है

 

कभी-कभी की "मुलाक़ात" ही अच्छी होती है,

"क़द्र" खो देता है

हर रोज़ का आना जाना.

 

ये सोचना ग़लत है कि

     तुम पर नज़र नहीं

मसरूफ़ हम बहुत हैं

    मगर बे-ख़बर नहीं

 

नहीं आता मुझे यूं तुमसे दूर 🙄रहकर सुकून से रहना..

हम तो हर पल तुम्हें देखने की ख्वाइश रखते है

 

क्या कहा, तुम्हारा आशिक़ शराब पीता है.

तो लानत है तुम्हारे होंटो पर मोहतरमा.


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