जिंदगी गुजरने लगी है अब तो किश्तों पर,,,,
ये कुछ ग्राम का मोबाइल,भारी पड़ गया साहब,रिश्तों पर....!!!
क्यूँ क़िया मोहब्बत का ज़ुल्म हम पर!
दिल से ख़ेलना ही था फ़क़त....तो बता देते!!
मिरी वफ़ा का सिला ये क्या दिया तुमने!
ग़र साथ नहीं देना था मेरा.......तो बता देते!!
क्यूँ आए यहाँ तक़ भी मिरे हम क़दम बनके़!
साथ चलना नहीं था अग़र.......तो बता देते!!
क्यूँ जग़ाया जज़्बातों को हमें सहारा देक़र!
हम ख़ुद ही ग़िर जाते ग़िराना था.तो बता देते!!
अब और क्या बचा है मिरे पास साँसों के सिवा!
अग़र मिरे होने से परेशाँ थे तुम...तो बता देते!!
हम तो तिरी ख़ुशी क़े लिए ख़ुद ही मिट जाते!
ग़र "रामभुवन" को मिटाना ही था...तो बता देते!!
नज़रअंदाजी का बड़ा शौक था उनको..
हमने भी तोहफे में उनको उन्हीं का शौक दे दिया..!
मैदान-ए-जंग में हूँ अभी घर नही गया,
मै हार तो गया हूँ मगर मर नही गया,
ऐ खुदा अगर तेरे पेन की स्याही खत्म हो गयी हो
तो मेरा लहू लेले बस….
यु कहानिया अधूरी न लिखा कर
मीठी बाते ना कर ऐ नादान परिंदे…,
इंसान सुन लेगा तो पिंजरा ले आएगा…
ऊँचा होने का गुमान और छोटा होने का मलाल मिथ्या है,
खेल खत्म होने के बाद, शतरंज के सब मोहरे एक ही डिब्बे मे रखे जाते हैं !"
इन हसरतों से कह दो कहीं दूर जी बसे।।
इतनी जगह कहां है दिले दागदार में।
इश्क़ करते हो तो बस...हल्के से इशारा करो...
जरूरी नही कि......खुल कर तमाशा करो.....
अजीब तमासा है दुनिया वालों का
बेवफाई करो तो रोते हैं
और वफ़ा करो तो रुलाते हैं
कितना मुश्किल है ये जिंदगी का सफर
खुदा ने मरना हराम किया
और लोगो ने ज़ीना
भले ही अपनी मस्ती में चूर रहा करो
मगर इन हुस्न वालों से दूर रह करो।
खुशकिस्मत है वो जो खा रहा है रूखी सूखी,
बदकिस्मती तो उसकी है जिसे भूख ही नही लगती।
या ज़िन्दगी की मान और हसरतों को मना कर दे...
या हसरतों की मान और ज़िन्दगी को फ़ना कर दे...!
यूँ ही दे रही है वो #नजरों से क़त्ल कि #धमकियाँ..
हम कौन से #ज़िंदा हैं जो #मर जाएंगे..
मुहब्बत की निशानी... मिटा रहा था
इश्क़ एक और.........निशानी दे गया
बैठाकर यार को पहलू में रात भर ज़नाब
जो लोग कुछ नहीं करते कमाल करते है
आज भी दरवाजे से छुपकर देखती है रोज मुझे!
गाँव का इश्क़ है जनाब शहर की नोटँकीयां नही
ये ईश्क़ है साहब
मुह तो खामोश रहता है।
दिल बहुत हल्ला करता है।
चाँद सर, पर है.
और मेरे चाँद की,खबर नहीं.!
जख्म देना था तो तुम्हें, जाहिर नही करना था..
बड़ी तादात है शहर में, जख्म कुरेदने वालों की
उसकी एक नज़र अरमानों को खाक कर गई,
वो अमरीका सी आई और मुझे इराक़ कर गई
जख्म हैं कि दिखते नहीं..!!
मगर ये मत समझिये कि दुखते नहीं..!
जो दुख में जीने को राजी हो
उससे सुख कोन छिन सकता है।
किसी ने मुझसे "पूछा" कि ये "शायरी" क्या है...!!
हमने "मुस्कुरा" के कहा "तजुर्बों का सर्टिफिकेट" है साहब...!!
छु ना सको "आसमान" ....तो ना सही ....
किसीके "दिल" को छूने का आनन्द भी आसमान छूने से कम नहीं !
फक़त चेहरे को देख कर मुझसे गुफ़्तगू ना कर, 💕💕
मेरा पाक़ क़िरदार भी मुझे लाज़वाब बनाता है
किताब-ऐ-दिल का , , ,
कोई भी सफ़ा खाली नहीं होता . . . !
दोस्त वहाँ भी हाल पढ लेतें हैं , , ,
जहाँ कुछ भी लिखा नहीं होता .
कभी कभी धागे बड़े कमजोर चुन लेते हैं हम..
पूरी उम्र गाँठ बांधने में ही निकल जाती है..
खूबी और खामी
दोनो ही होती है लोगों में...
आप क्या तलाशते हो
ये महत्वपूर्ण है..
नफरत के शोरूम खुल गए, हर एक गली ठिकानों में
मिलती कहाँ हैं अब खुशियाँ, छल की बड़ी दुकानों में
ख्वाहिशो ने ही भटकाये है, जिंदगी के रास्ते,
वरना रूह तो उतरी थी ज़मीं पे, मँजिल का पता लेकर
जहां विश्वास है वहां सबूत
*की ज़रूरत नहीं होती...
*आखिर गीता पर भी कहाँ
*श्रीकृष्ण के दस्तखत हैं! जय श्री कृष्ण शुभ संझा
मेरा इश्क....ताउम्र अजनबी ही रहे तो अच्छा है.....!!
अहमियत खो देती है मंजिलें......
मुलाकात के बाद....!!
जिसके लिये लिखता हूं मैं दिल से ,
आजकल वो कहती है, अच्छा लिखते हो 'उनको' सुनाऊंगी..
कोई चेहरे का दीवाना ....किसी को तन की तलब ...!!!
अदाएं पीछा करवाती हैं साहब .... यहाँ मोहब्बत कौन करता है ..
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